MP SAMVIDA SHIKSHK VERG 3 STUDY MATERIAL- CLASSES AND FREE PDFS

COMPLETE SYLLABUS OF EVS

  1. विषय वस्तु ( 20 प्रश् )
  2. हमारा परिवार,हमारे मित्र
  • परिवार और समाज से सहसंबंध – परिवार के बड़े बूढ़े, बीमार, किशोर, विशिष्‍ट आवश्‍यकता वाले बच्‍चों की देखभाल और उनके प्रति हमारी संवेदनशीलता।
  • हमारे पशु, पक्षी – हमारे पालतू पशु-पक्षी, माल वाहक पशु, हमारे आसपास के परिवेश में जीव-जन्‍तु, जानवरों पर प्रदूषण का प्रभाव।
  • हमारे पेड़-पौधे –स्‍थानीय पेड़-पौधे पेड़-पौधों एवं मनुष्‍यों की अन्‍त:निर्भरता, वनों की सुरक्षाऔर उनकी आवश्‍यकता और महत्‍व, पेड़-पौधों पर प्रदूषण का प्रभाव।
  • हमारे प्राकृतिक संसाधन – प्रमुख प्राकृतिक संसाधन, उनका संरक्षण, ऊर्जा के पारंपरिक और नवीनीकृत एवं अनवीनीकृत स्रोत।
  1. खेल एवं कार्य
  • खेल, व्‍यायाम और योगासन।
  • पारिवारिक उत्‍सव, विभिन्‍न मनोरंजन के साधन – किताबें, कहानियां, कठपुतली प्‍ले, मेला सांस्‍कृतिक कार्यक्रम एवं दिवसों को विद्यालयम में मनाया जाना।
  • विभिन्‍न काम धंधें, उद्योंग और व्‍यवसाय।
  1. आवास
  • पशु, पक्षी और मनुष्‍य के विभिन्‍न आवास, आवास की आवश्‍यकता और स्‍वस्‍थ जीवन के लिए आवास की विशेषताएं।
  • स्‍थानीय इमारतों की सुरक्षा, सार्वजनिक संपत्ति, राष्‍ट्रीय धरोहर और उनकी देखभाल।
  • उत्‍तम आवास और उसके निर्माण में प्रयुक्‍त सामग्री, निर्माण सामग्री की गणनाकरना।
  • शौचालय की स्‍वच्‍छता, परिवेश की साफ-सफाई और अच्‍छी आदतें।
  1. हमारा भोजन और आदतें
  • भोजन की आवश्‍यकता, भोजन के घटक।
  • फल एवं सब्जियों का महत्‍व, पौधों के अंगों के अनुसार फल, सब्जियाँ।
  • भोज्‍य पदार्थों का स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक संयोजन।
  • विभिन्‍न प्रकार की आयु का भोजन और उनको ग्रहण करने का सही समय।
  • उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य हेतु भोजन की स्‍वच्‍छता और सुरक्षा के उपाय।
  • खाद्य संसाधनों की सुरक्षा।
  1. पानी और हवा प्रदूषण एवं संक्रमण
  • जीवन के लिए स्‍वच्‍छ पानी और स्‍वच्‍छ हवा की आवश्‍यकता।
  • स्‍थानीय मौसम, जल चक्र और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और जलवायु परिवर्तन में हमारी भूमिका।
  • पानी के स्रोत, उसके सुरक्षित रखरखाव और संरक्षण एवं पोषण के तरीके।
  • संक्रमित वायु एवं पानी से होने वाले रोग, उनका उपचार और बचाव, अन्‍य संक्रामक रोग।
  • हवा, पानी, भूमि का प्रदूषण और उससे सुरक्षा, विभिन्‍न अपशिष्‍ट पदार्थों और उनका प्रबंध, उचित निस्‍तारण।
  • भूकंप, बाढ़, सूखा आदि आपदाओं से सुरक्षा और बचाव के उपाय, आपदा प्रबंधन।
  • प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन – संसाधनों का उचितदोहन, डीजल, पेट्रोलियम खपत एवं संपोषण आदि।
  1. प्राकृतिक वस्तुएं और उपज
  • मिट्टी, पानी, बीज और फसल का संबंध, जैविक-रासायनिक खाद।
  • विभिन्‍न फसलें उनके उत्‍पादक क्षेत्र।
  • फसल उत्‍पादन के लिए आवश्‍यक कृषि कार्य और उपकरण।
  1. मानव निर्मित साधन एवं उसके क्रियाकलापों का प्रभाव
  • वनों की कटाई और शहरीकरण, पारिस्थितिक संतुलन पर प्रभाव
  • ओजोन क्षय, अम्‍लीय वर्षा, ग्‍लोबल वार्मिग, ग्रीन हाउस प्रभाव आदि के वैज्ञानिक कारणएवं निदान
  • पालिथिन प्‍लास्टिक का उपयोग और उनकाअपघटक अपमार्जक
  • जीवाश्‍म ईंधन के प्रयोग के प्रभाव
  • आपदा प्रबंधन
  1. अंतरिक्ष विज्ञान
  • अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का परिचय, उनके अंतरिक्ष मंे जीवन बिताने के अनुभव।
  • अंतरिक्ष जीवन के वैज्ञानिक तथ्‍य, जीवन की संभावनाएं। अंतरिक्ष यान, अंतरिक्ष खोंजें एवं भविष्‍यवाणियां।
  1. पेडागॉजिकल मुद्दे 10 प्रश्
  • पर्यावरण अध्‍ययन की अवधारणा और उसकी आवश्‍यकता।
  • पर्यावरण अध्‍ययन का महत्‍व, समेकित पर्यावरणीय शिक्षा।
  • पर्यावरणीय शिक्षा के सूत्र एवं दायित्‍व।
  • पर्यावरणीय शिक्षा का विज्ञान और सामाजिक विज्ञान से सहसंबंध।
  • अवधारणाओं के स्‍पष्‍टीकरण हेतु प्रवि‍धियां और गतिविधियां ।
  • परिवेशीय भ्रमण, प्रयोगात्‍मक कार्य, प्रोजेक्‍ट कार्य और उनका महत्‍व।
  • चर्चा, परिचर्चा, प्रस्‍तुतीकरण और समूह शिक्षण व्‍यवस्‍था से सीखना।
  • सतत-व्‍यापक मूल्‍यांकन – शिक्षण के दौरान प्रश्‍न पूछना, मुखर और लिखित अभिव्‍यक्ति के अवसर देना, वर्कशीट्स एवं एनेक्‍डॉटल रिकार्डका प्रयोग, बच्‍चे की पोर्टफोलियो का विकास करना, केस स्‍टउी और व्‍यक्तिगत प्रोफाइल से शिक्षण व्‍यवस्‍थाएं।
  • पर्यावरणीय शिक्षा में शिक्षण सामग्री/ सहायक सामग्री और उसका अनुप्रयोग।

स्‍थानीय परिवेश की पर्यावरणीय समस्‍याएं और उनके समाधान खोजने की

     हमारा परिवार, हमारे मित्र

परिवार व मित्र 

UNIT-1

हमारा परिवार,हमारे मित्र

Chapter -1

परिवार (Family)

Outlines-

  1. परिवार
  2. परिवार की विशेषताएँ
  3. परिवार का वर्गीकरण
    • संयुक्त परिवार joint family
    • एकल परिवार nuclear family
  4. परिवार का आधुनिक स्वरूप
  5. परिवार का महत्व
  6. महत्वपूर्ण परिभाषाये
  7. Multiple choice question
  8. NCERT SUMMARY
  9. विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे उनके प्रति हमारी देखभाल
  10. Multiple choice question

विशिष्ठ आवश्यकता वालें बच्चो की देखभाल उनके प्रति हमारी संवेदनशीलता

सामाजिक बुराईयां

प्रत्येक बच्चे के पास उत्प्रेरणा, शिक्षा, खेल – कूद मनोरंजन और संस्कृतिक क्रियाकलापों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और संवेदनात्मक विकास का अधिकार है ताकि वह अपने व्यक्तित्व का विकास अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुरूप कर सके।

जैसे – जैसे बच्चों की आयु महीनों और वर्षों में बढ़ती जाती है, उनका विकास शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से होता है, उनमें समझने और सीखने की क्षमता (संज्ञात्मक कौशल) का विकास होने लगता है। 

CDP PRACTICE QUESTIONS DAILY DOSE

स्वास्थय और पोषण

  1. पोषण का अर्थ है ऐसा आहार जिसे शरीर की भोजन संबंधी आवश्यकताओं के संदर्भ में उपयुक्त समझा जाता है। बेहतर पोषण तथा सन्तुलित आहार तथा साथ ही नियमित शारीरिक क्रियाकलाप बच्चे के स्वास्थ्य में विकास के प्रति योगदान करते हैं।
  2. ख़राब पोषण बच्चों में बीमारियों और उनकी मृत्यु होने की बढ़ती घटनाओं का एक प्रमुख कारण है। बच्चों की पोषण – संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कैलोरी आवश्यक है। 
  3. प्रोटीन भोजन में विद्यमान और शरीर – निर्माण के अवयव हैं। जो विभिन्न अहारों में पाये जाते हैं, जैसे दालें, दूध अंडा, मछली और मांस।
  4. हमारे शरीर की मांस – पेशियाँ और अंग तथा हमारी प्रतिरक्षण प्रणाली अधिकांशत: प्रोटीन के द्वारा ही बनती है।
  5. कैलोरी हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है तथा यह अनाज, चीनी, वसा और तैलीय आहारों में उपलब्ध होती है।
  6. एक 18 किलोग्राम भार वाले 4 से 6 वर्ष के बच्चे को प्रतिदिन अपने भोजन में 1350 ग्राम कैलोरी, 20 ग्राम प्रोटीन और 25 ग्राम वसा की आवश्यकता होती है। बढ़ती उम्र के साथ बच्चों के पोषण की आवश्यकताएं भी बढ़ती हैं।
  7. बाल्यावस्था के प्रारंभिक वर्षों में अल्प पोषण के फलस्वरूप बच्चों के विकास में गंभीर बाधाएँ आती है तथा यह प्रक्रिया जीवन की आगामी अवस्था में भी जारी रहती है। उदहारण के लिए समय से पूरे जन्मी और जन्म के समय कम वजन की बालिका का विकास निरंतर धीमी गति से होता है तथा वह एक कुपोषित बालिका हो जाती है, जिसका किशोरावस्था में वजन अत्यंत कम होता है। फिर 18 वर्ष से पूर्व की आयु में उसका विवाह होने पर वह कम आयु की कमजोर कद – काठी वाली गर्भवती स्त्री बन जाती है। इसके उपरांत, कुपोषण और खराब शारीरिक विकास का एक अगला चक्र उसके द्वारा जन्म दिए जाने वाले बच्चे, चाहे वह लड़का हो या लड़की के साथ पुन: आरंभ हो जाता है।
  8. अल्प पोषण स्थिति उत्पन्न होने के कुछ अन्य कारण हैं – निर्धनता, निम्न आय और अकालl

विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे (सीडब्ल्यूएसएन)

…………………………….TO BE CONTINUED

 

विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे व संवेदनशीलता 03

विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे व संवेदनशीलता 04
क्विज टाइम

Ncert जीव जंतु 05


Ncert जीव जंतु 06
One liner

OUTLINES

  • हमारे पशु पक्षी
  • NCERT summary
  • प्रदुषण का प्रभाव
  • ONE LINER QUESTIONS

जानवरों में भी देखने, सुनने और महसूस करने की शक्ति होती है

चीटियां चलते समय जमीन पर कुछ ऐसा पदार्थ छोड़ती हैं, जिसे सूंघकर पीछे आने वाली चीटियों को रास्ता मिल जाता है।

मच्छर हमारे शरीर की गंध खासकर पैरों के तलवे की गंध को सूंघकर हमें ढूंढ लेता है। मच्छर हमारे शरीर की गर्मी से भी हमें ढूंढ लेता है।

सड़कों पर कुत्तों की भी अपनी जगह बटी होती है, एक कुत्ता दूसरे कुत्ते के मल मूत्र की गंध से जान लेता है कि उसके इलाके में बाहर कुत्ता आया था।

रेशम का कीड़ा अपनी मादा को उसकी गंध से कई किलोमीटर दूर से ही पहचान लेता है।

ज्यादातर पक्षियों की आंखें उनके सिर के दोनों तरफ होती हैं

पक्षी एक ही समय में दो अलगअलग चीजों में नजर रख सकते हैं।

जब यह बिल्कुल सामने देखते हैं, तब इनकी दोनों आंखें एक ही चीज पर होती हैं।

ज्यादातर पक्षियों की आंखों की पुतली घूम नहीं सकती , वे अपनी गर्दन हिलाकर या घुमा कर ही आसपास की चीजों को देखते हैं।

पक्षी जब दोनों आंखें एक ही चीज पर केंद्रित करते हैं, तो उन्हें चीज की दूरी का एहसास होता है।

जब पक्षी अपनी दोनों आंखें अलगअलग चीजों पर केंद्रित करते हैं, तो उनका देखने का दायरा बढ़ जाता है।

चील बाज और गिद्ध हम से 4 गुना ज्यादा देख सकते हैं।

CDP MOCK TEST 01

 

आमतौर पर माना जाता है, कि दिन में जागने वाले जानवर कुछ रंग देख पाते हैं। और रात में जागने वाले जानवर हर चीज को सफेद और काली ही देख पाते हैं।

सांप के बाहरी कान नहीं होते हैं, वह जमीन पर हुए कंपन को ही सुनता है।

 *जंगल में ऊंचे पेड़ पर बैठा लंगूर पास आती किसी मुसीबत जैसे शेर या चीता को देखकर एक खास आवाज निकालता है जिससे उनके साथियों को तक संदेश पहुंच जाता है (इस काम के लिए पक्षी भी खास तरह की आवाजें निकालते हैं।)

कुछ पक्षी अलगअलग खतरों के लिए अलगअलग तरह की आवाजें निकालते हैं।

मछलियां खतरों की चेतावनी के लिए एक दूसरे को बिजली की तरंगों से जानकारी पहुंचाती हैं।

कुछ जानवर तूफान या भूकंप आने से कुछ समय पहले ही अजीब हरकतें करने लगते हैं, जंगलों में रहने वाले लोग समझ जाते हैं कि कुछ अनहोनी होने वाली है।

सन 2004 मैं दिसंबर के माह में सुनामी से कुछ समय पहले जानवरों के अजीब व्यवहार और उनके द्वारा दी गई चेतावनी भरी आवाजों को अंडमान की खास आदिवासी जनजाति समझ गई, और उन्होंने वह इलाका खाली कर दिया इस प्रकार यह लोग सुनामी से बच गए।

डॉल्फिन भी अलग अलग तरह की आवाजें निकालती है और एक दूसरे से बात करती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कई जानवरों की अपनी पूरी भाषा है।

बहुत से जानवर किसी खास मौसम में लंबी गहरी नींद में चले जाते हैं जैसे छिपकली।

स्लॉथ :-

स्लॉथ भालू जैसे दिखते हैं पर यह भालू नहीं होते हैं।

स्लॉथ दिन में करीब 17 घंटे पेड़ों से उल्टे लटककर मस्ती से सोते हैं।

स्लॉथ सप्ताह में एक बार शौच करने के लिए पेड़ से नीचे उतरते हैं।

स्लॉथ जिस पेड़ पर रहते हैं उसी के पत्ते खाकर अपना पेट भरते हैं 40 वर्ष के अपने जीवन में यह केवल 8 पेड़ों पर घूमने की तकलीफ उठाते हैं

बाघ :-

CDP MOCK TEST 02 GLOBAL WORLD ACADEMY

बाघ अंधेरे में हम से 6 गुना बेहतर देख सकते हैं।

बाघ की मूंछें हवा मे हुए कंपन को भाप लेती हैं जिससे उसे शिकार की सही स्थिति का पता चल जाता है, और अंधेरे में रास्ता ढूंढने में बाघ को मदद कर मिलती है।

बाघ मौके के अनुसार अपनी आवाज बदलता रहता है बाघ का गर्जना की आवाज 3 किलोमीटर दूर से भी सुनी जा सकती है।

बाघ हवा की वजह से पत्तों के हिलने और शिकार की वजह से झाड़ियों के हिलने से हुई आवाज में अंतर को पहचान सकता है।

बाघ के दोनों कान बाहर की आवाजों को अच्छे से सुनने के लिए अलगअलग दिशाओं में बहुत ज्यादा घूम सकते हैं

जिम कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड में है

घना पक्षी विहार राजस्थान के भरतपुर जिले में है।

सपेरों को कॉल बेलिया भी कहते हैं।

नाग गुंफन ऐसे डिजाइन, रंगोली, कढ़ाई और दीवारों को सजाने के लिए सौराष्ट्र गुजरात और दक्षिण भारत में प्रयोग किए जाते हैं।

कालबेलिया नाच में सांप जैसी मुद्राएं होती हैं।

तुम्बा, खंजरी, बीन आदि सूखी लौकी से बनाए जाते हैं।

हमारे देश में पाए जाने वाले सांपो में केवल 4 तरह के सांप ही जहरीले होते हैं और उनके नाम नाग, करैत दुबोइया, भफाई।

सांप जब किसी को काटते हैं तो उनके दो खोखले जहर वाले दांत से दूसरे व्यक्ति या जानवर के शरीर में चला जाता है। सांप के द्वारा काटे हुए व्यक्ति को सीरम नाम की दवा दी जाती है, जो सांप के जहर से ही बनाई जाती है।

उड़ीसा के कालाहांडी जिले में सबसे अधिक चावल पैदा किया जाता है।

भारत के विभिन्न प्रांतों में आम पापड़ को अलगअलग नाम से पहचाना और पुकारा जाता रहा है। 

हिंदी में अमावट ’, 

बंगाली में आमसोट्टो ’,

 असम मेंआमटा ’, 

तेलुगु मेंमामिडी तंद्रा ’, 

मराठी मेंअंबावड़ी

स्वाद और पाचन के बारे में :-

हमारे पेट का तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड होता है।

हमारे पेट में पाए जाने वाला रस अमलीय होता है।

सबसे ज्यादा भारत में सबसे ज्यादा चावल का उत्पादन उड़ीसा के कालाहांडी जिले में होता है।

उड़ीसा में इतने अधिक चावल उत्पादन के बावजूद भी वहां के बहुत से लोग गरीब है।

मुस्लिम कपड़े को छानने में यूज करते हैं।

कांच के जार या बोतल में अचार रखने से पहले अच्छी तरह से सुखाया जाता है ताकि उसमें कोई नमी ना रह जाए वरना अचार खराब हो जाएगा।

पिचर प्लांट को नेपेन्थीज भी कहते हैं।

CDP MOCK TEST 03 GLOBAL WORLD ACADEMY

पिचर प्लांट एक विशेष प्रकार की गंध को को छोड़कर कीड़ों को आकर्षित करता है, और फिर उनका शिकार कर लेता है।

वेल्क्रो (वेल्क्रो सैंडल में खुरदरा सा हिस्सा है, जिसको को पहनने के बाद चिपकाया जाता है) का अविष्कार जॉर्ज दे मेस्त्रल ने 1948 में किया था। उनको यह विचार कांटो वाले बीज से आया था।

पौधे घूम नहीं सकते एक बार वे एक ही जगह पर रहते हैं। परंतु उनके बीज लंबी यात्रा करते हैं।

पौधों के बीज कपड़ों में चिपक कर और पानी में बहकर भी यात्रा करते हैं।

सोयाबीन की फली पकने पर फूट जाती हैं और उनसे सोयाबीन के बीज निकल आते हैं।

हरी मिर्च, टमाटर और आलू दक्षिण अमेरिका से आया।

MATHS COMPLETE NOTES 99/-

CDP COMPLETE NOTES 500/-

EVS COMPLETE NOTES 300/-

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