"देश की दुर्दशा निहारोगे
डूबते को कभी उबारोगे
हारते ही रहे न है कुछ अब
दाँव पर आपको न हारोगे
कुछ करोगे कि बस सदा रोकर
दीन हो दैव को पुकारोगे
सो रहे तुम, न भाग्य सोता है
आप बिगड़ी तुम्हीं सँवारोगे
दीन जीवन बिता रहे अब तक
क्या हुए जा रहे, विचारोगे ?
काव्य
प्रेम-पथिक -1909 ई॰ (प्रथम संस्करण ब्रजभाषा में; संशोधित-परिवर्धित संस्करण खड़ी बोली में – 1994
- करुणालय (काव्य–नाटक) – 1913 ई॰ (‘चित्राधार’ के प्रथम संस्करण में ‘करुणालय’ संकलित थी, परंतु 1928में इन दोनों का स्वतंत्र प्रकाशन हुआ।)
- महाराणा का महत्त्व – 1914 ई॰ (यह भी ‘चित्राधार’ के प्रथम संस्करण में करुणालय के साथ ही संकलित थी, परंतु 1928 में इसका भी स्वतंत्र प्रकाशन हुआ।)
- चित्राधार – 1918 ई॰
- कानन कुसुम – 1913 ई॰ (ब्रजभाषा मिश्रित प्रथम ]
- झरना – 1918 ई॰
- आँसू – 1925ई॰
- लहर- 1935 ई॰
- कामायनी – 1936 ई॰
संशोधन एवं परिवर्धन के पश्चात जयशंकर प्रसाद के काव्य–संग्रहों का कालानुक्रम
संशोधित वर्ष | कृति | प्रथम संस्करण वर्ष |
---|---|---|
१९१४ | प्रेमपथिक | १९०९ |
१९२७ | झरना | १९१८ |
१९२८ | करुणालय | १९१३ |
१९२८ | महाराणा का महत्त्व | १९१४ |
१९२८ | चित्राधार | १९१८ |
१९२९ | कानन कुसुम | १९१३ पुनः १९१८ |
१९३३ | आँसू | १९२५ |
१९३५ | लहर | |
१९३६ | कामायनी |
कहानी-संग्रह एवं उपन्यास
- छाया – १९१२ ई॰
- प्रतिध्वनि – १९२६ ई॰
- आकाशदीप – १९२९ ई॰
- आँधी – १९३१ ई॰
- इन्द्रजाल – १९३६ ई॰
- उपन्यास-
नाटक-एकांकी एवं निबन्ध
- उर्वशी (चम्पू) – १९०९ ई॰
- सज्जन – १९१० ई॰
- कल्याणी परिणय – १९१२ ई॰ (नागरी प्रचारिणी पत्रिका में प्रकाशित; १९३१ ई॰ में कुछ संशोधनों के साथ ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक में समायोजित।)
- प्रायश्चित्त – १९१४ ई॰
- राज्यश्री – १९१५ ई॰
- विशाख – १९२१ ई॰
- अजातशत्रु – १९२२ ई॰
- जनमेजय का नाग-यज्ञ – १९२६ ई॰
- कामना – १९२७ ई॰
- स्कन्दगुप्त विक्रमादित्य – १९२८ ई॰
- एक घूँट – १९३० ई॰
- चन्द्रगुप्त – १९३१ ई॰
- ध्रुवस्वामिनी – १९३३ ई॰
- अग्निमित्र (अपूर्ण)
- निबन्ध-
- काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध – १९३९ (भारती भण्डार, लीडर प्रेस, इलाहाबाद से प्रकाशित।