सामाजिक बुराइयाँ क्या है? किसे कहते हैं?
किसी भी समाज के लोगों के द्वारा किए जाने वाले वह कार्य जो सामाजिक नियम के विरुद्ध हो सामाजिक बुराइयां कहलाता है।
सामाजिक बुराइयाँ कई प्रकार की होती है जो निम्नलिखित है:-
बाल श्रम
बाल विवाह
दहेज प्रथा
चोरी
नशाखोरी/धूम्रपान
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बाल श्रम किसे कहते हैं?
साधारण शब्दों में कहा जाए तो बालकों के द्वारा कार्य करवाना बाल श्रम कहलाता है।
परंतु अब सवाल ये है कि किस उम्र के बालक से काम करवाना बाल श्रम में आता है।
➥ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार:- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गाड़ी पर लगाना निषेध है। इस उम्र के बच्चे बाल श्रम में आते हैं।
बच्चों
से कुछ तरह के काम करवाने पर कानून पूरी पाबन्दी लगाता है । कानून यह भी बताता है की बच्चों से क्या और कहाँ काम करवाया जा सकता है । इन कामों के अलावा अगर कहीं काम लिया जाए तो कानून काम लेने वालों को सजा देगा । बच्चों से यानी 14 साल से कम उम्र के तहत व्यक्तियों से काम करवाने से संबंधित कानून है । बाल मजदूरी (प्रतिबंध एवं नियंत्रण अधिनियम 1986)
पेशा स्वास्थय बाधाएँ एवं खतरा
बीड़ी उद्योग टी. बी. श्वासनली – शोथ
हस्तकरघा उद्योग दमा, टी. बी. श्वासनली – शोथ, रीढ़ की हड्डी की बीमारी
जरी एवं कढ़ाई आँखों में त्रुटि एवं खराबी
रून एवं हिरा कटिंग आँखों में त्रुटि एवं खराबी
फटा – पुराना समान एवं कागज के टुकड़े को बटोरना चर्म– रोग, संक्रमण रोग, टेटनस, दमा, श्वासनली– शोथ, तपेदिक
पत्थर एवं स्लेट खनन सिलिकोसिस
चूड़ी उद्योग ताप आघात (प्रहार), चर्म–रोग, श्वासदोष, कंजंकटीवाइटिस
स्लेट उद्योग सिलिकोसिस
कृषि उद्योग। चर्म– रोग, कीटनाशक दवाईयों एवं मशीनों का दु:प्रभाव, स्नायु संबंधी जटिलता एवं अत्यधिक उत्तेजना, ऐठन
ईंट भट्टी। सिलिकोसिस, ऐठन
पीतल उद्यो। अंग बिहीनता, तपेदिक, जलन, उलटी, खून, श्वसनीय अनिमियतता, जल्द मृत्यु
माचिस उद्यो। आग से दुर्घटना, तुरंत मृत्यु
शीशा एवं पावरफुल उद्योग दमा, श्वासनली– शोथ, तपेदिक, आँखों में खराबी, जलना इत्यादि
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विभिन्न कानून
1. बाल श्रम बंधक कानून 1933
2. कारखाना कानून 1948 (15 वर्ष से कम) बालको व महिलाओं को संध्या 7 से सुबह 6 तक कार्य प्रतिबंधित हैं।
3. खान कानून 1952
4. प्रशिकसु कानून 1961 (14 वर्ष से कम)
5. बीड़ी व सिगार कर्मकार 1966
6. बाल श्रम (प्रतिशेड व विनियमन) कानून 1986 – वर्ष 1979 मैं सरकार ने बालश्रम को रोकने के लिए एक कमिटी पहली बार गुरूपदस्वामी का गठन किया। विस्तृत अध्धयन के बाद पहला कानून बाल श्रम कानून 1986 मैं बना। इसमें घरेलू इकाइयों को छोड़ कर अभी में 14 से कम वर्ष के बच्चे प्रतिबंधित कर दिए जाएं। सजा के प्रावधान में तीन माह से एक वर्ष की अवधि का कारावास या 10 से 20 हज़ार रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया हैं।
7. 13 मई 2015 मैं संशोधन हुआ। कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे पुश्तेनी कामो में अपना हाथ बटा सकते हैं, परन्तु काम खतरनाक नही होना चाहिए।
8. 1986 में एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्धारण किया गया।
9. राष्ट्रीय बाल श्रम नीति NCLP – सन 1979 में गठित गुरु पद समिति की अनुशंसा पर अगस्त 1987 में एक NCLP का गठन किया गया।
10. राष्ट्रीय बाल नीति 2013 NPC NATIONAL POLICY FOR CHILDREN – 18 वर्ष के कम आयु वाले बालक को इंसान माना जाएगा।
11. 26 SEPTEMBER 1994 को राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन प्राधिकरण की सथापना की गईं।
12. सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा 10 DEC 1996 को खतरनाक व घातक उधोगो कर 14 से कम वर्ष के बच्चो पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
13. भारत सरकार ने 10 OCT 2006 को बाल श्रम पर प्रतिबंध लगा दिए।
14. 12 जून को यूनिसेफ द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस घोषित किया गया।
15. THE जुवेनाइल जस्टिस ऑफ चिल्ड्रन एक्ट 2006 : बच्चे को जोखिम पूर्ण कार्य मैं लगाने या बन्धुआ मजदूर रखने को अपराध घोषित किया गया व जेल की सजा का प्रावधान किया गया।
16. बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय आयोग NCPCR
a. – मुख्यालय– नइ दिल्ली
b. स्थापना संसद के अधिनियम बाल सरक्षण आयोग अधिनियम 2005 के तहत 2007 में की गईं।
c. इसमें एक अध्यक्ष व 6 सदस्य होंगे। छह में कम से कम 2 महिला अवश्य हो।
17. वर्ष 2010 में 6 से 14 वर्ष के आतु बालको को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का एक्ट 2009 में आया।
18. सार्क देशों ने 1990 को बालिका दशक घोशीत किया।
19. विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ (World Day Against Child Labour) प्रतिवर्ष 12 जून को मनाया जाता है। इस वर्ष के ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ को ‘आभासी अभियान‘ (Virtual Campaign) के रूप में आयोजित किया गया है।
पमुख बिंदु:
20. विश्व बाल श्रम निषेध दिवस-2020, ‘COVID-19 महामारी का वैश्विक बाल श्रम पर प्रभाव’ विषय पर केंद्रित है।
21. बाल श्रम पर ‘आभासी अभियान‘ का आयोजन ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (International Labour Organization- ILO) द्वारा ‘ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर‘ तथा ‘इंटरनेशनल पार्टनरशिप फॉर कोऑपरेशन इन चाइल्ड लेबर इन एग्रीकल्चर‘ के साथ मिलकर किया जा रहा है।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी।
इस कानून 14 साल से कम उम्र के बच्चों को नीचे लिखे कामों के लिए नहीं रखा जा सकता है:
1. रेलगाड़ी से यात्री, सामन या डाक ले जाने के लिए,
2. रेलगाड़ी के इंजिन में आधे जले कोयले उठाने, में जले कोयले की राख साफ करने या रेल स्टेशन की सीमा में कोई भवन बनाने के लिए,
3. रेलवे स्टेशन में चाय व खाने पीने के सामान की दूकान पर, जहाँ एक से दुसरे प्लेटफार्म पर बार–बार आना – जाना पड़ता हो ।
4. रेलवे स्टेशन या रेल लाईन बनाने के काम के लिए,
5. बंदरगाहों पर किसी भी तरह के काम के लिए,
6. अल्पकालीन (टेम्परेरी) लाईसेंस वाली पटाखों की दूकानों में पटाखे बेचने का काम
7. कुछ कामों के कारख़ानों और कारखानों के परिसरों में बच्चों को लगाना मना है । ये काम हैं :
· बीड़ी बनाना,
· गलीचे बुनना,
· सीमेंट कारखाने में, सीमेंट बनाना या थैलों में भरना,
· कपड़ा बुनाई, छपाई व रंगाई,
· माचिस, पटाखे या बारूद बनाना,
· अबरक (अभ्रक या माईका) काटना या तोड़ना
· चमड़ा या लाख बनाना
· साबुन बुनाई, छपाई व रंगाई,
· माचिस, पटाखे या बारूद बनाना
· ऊन की सफाई,
· मकान, सड़क, बांध, आदि बनाना,
· स्लेट पेंसिलें बनानी व पैकबंद करनी,
· गोमेद की वस्तूएं बनाना
· कोई ऐसा काम जिसमें लैंड, पारा मैंगनीज, क्रोमियम, अरगजी, बेंजीन, कीड़े– नाशक दवाएँ और एस्बेस्टस जैसे जहरीले धातु और पदार्थ उपयोग में लाये जाते हों ।H

CHILD LABOUR
1. बाल श्रम बंधक कानून 1933
2. कारखाना कानून 1948 (15 वर्ष से कम) बालको व महिलाओं को संध्या 7 से सुबह 6 तक कार्य प्रतिबंधित हैं।
3. खान कानून 1952
4. प्रशिकसु कानून 1961 (14 वर्ष से कम)
5. बीड़ी व सिगार कर्मकार 1966
6. बाल श्रम (प्रतिशेड व विनियमन) कानून 1986
7. 13 मई 2015 मैं संशोधन हुआ।
8. 1. 1986 में एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्धारण किया गया।
9. राष्ट्रीय बाल श्रम नीति NCLP 1987
10. राष्ट्रीय बाल नीति 2013 NPC NATIONAL POLICY FOR CHILDREN.

CHILD MARRIAGE
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 (Prohibition of Child marriage Act 2006) भारत का एक अधिनियम है जो ०१ नवम्बर २००७ से लागू हुआ।
बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम, 1929, 28 सितंबर 1929 को इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ऑफ इंडिया में पारित हुआ। लड़कियों के विवाह की आयु 14 वर्ष और लड़कों की 18 वर्ष तय की गई जिसे बाद में लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 कर दिया गया
इसके प्रायोजक हरविलास शारदा थे जिनके नाम पर इसे ‘शारदा अधिनियम‘ के नाम से जाना जाता है। यह छह महीने बाद 1 अप्रैल 1930 को लागू हुआ और यह केवल हिंदुओं के लिए नहीं बल्कि ब्रिटिश भारत के सभी लोगों पर लागू होता है।
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