Female Supervisor Daily Notes PDF – Nutrition and Health / पोषण व स्वास्थ्य in Hindi

भोजन भोजन का महत्त्व भोजन का वर्गीकरण भोजन के कार्य (Functions of Food) उत्तम पोषण (Good Nutrition)

भोजन- : भोजन प्रत्येक जीवित प्राणी के जीवन की प्रारम्भिक आवश्यकता है। भोजन मनपसन्द होने के साथ-साथ सन्तुलित भी होना चाहिए ताकि शरीर रह सके। स्वास्थ्य से अभिप्राय केवल शारीरिक ही नहीं अपितु मानसिक रूप से स्वस्थ रहने से भी होता है।

 

 

विशव स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के अनुसार, ‘‘स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से अच्छी तरह रहने की ही अवस्था है, केवल रोगों से दुर रहना और शारीरिक रूप से ठीक रहने की अवस्था नहीं है।’’

(According to World Health Organisation, “Health is a state of complete physical, mental and social well being And not merely the absence of disease or immunity.”)

वे सभी ‌‌‌खाद्य पदार्थ जो हम खाते या पीते हैं, जिनसे हमारा शरीर बनता है, पनपता है परिपक्व होता है ‌‌‌परिवर्तित होता है और जिससे स्वास्थ्य बनता है, तथा जीवन ‌‌‌निर्वाह होता है, हमारा भोजन कहलाते हैं। विभिन्न पदार्थों को ‌‌‌खाद्य पदार्थ तभी कहा जा सकता है जब उनमें निम्नलिखित गुण हों –

(1) आसानी से पाचक रसों में घुल सकें तथा आंतों की कोशिकाओं की भित्तियों ‌‌‌द्वारा अवशोषित हो सकें।

2) अगर पाचक रसों में घुलने योग्य न हों तो पाचक एन्जाइम्स के द्वारा खंडित होकर रक्त प्रवाह में सम्मिलित हो सकें।

 

 

ऐसे ‌‌‌खाद्य पदार्थ जो रक्त प्रवाह में सम्मिलित तो हो जाएँ किन्तु ऊतकों के लिए उपयोगी सिद्ध न हों, उन्हें भी भोजन में सम्मिलित नहीं करते, जैसे सैकरीन। इसका उपयोग ‌‌‌खाद्य ‌‌‌पदार्थों को मीठा बनाने के लिए, चीनी के स्थान पर किया जाता है। तरल पैराफिन (Liquid Paraffin) जो जुलाब (Purgative) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, को भी हम भोजन नहीं कह सकते। ये पदार्थ शरीर में अवशोषित हुए बिना मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

 

भोजन का महत्त्व :-

भोजन हमारे शरीर में कर्इ प्रकार के कार्य करता है। इन कार्यों से हमारे शरीर की क्रियाएँ सुचारू रूप से चलती हैं।

भोज्य तत्त्व शरीर की जटिल प्रक्रियाओं को नियन्त्रित करके रोग – निरोधक क्षमता बढ़ा देते हैं। भोजन के कार्यों के कारण ही भोजन का महत्त्व है।

कुछ समय पहले तक भोजन का महत्त्व केवल उसके शारीरिक कार्यों के कारण ही समझा जाता था। किन्तु आज भोजन का महत्त्व उसके मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक कार्यों के कारण भी जाने लगा है।

 

 

भोजन का वर्गीकरण दो प्रकार से किया जाता है –

(I) भोजन के कार्यों के आधार पर (On the basis of function of food)

(II) प्राप्ति के साधन के आधार पर (On the basis of source of Availability)

 

 

अच्छा भोजन वही कहलाता है जो निम्नलिखित कार्य करने में सक्षम हो –
1. शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक शक्ति व ऊर्जा देना तथा ताप उत्पन्न करना।
2. शरीर की विभिन्न क्रियाओं को नियन्त्रित करना।
3. शरीर की वृद्धि, विकास एवं टूटे – फूटे तन्तुओं का पुन: निर्माण करना।
4. रोग निरोधक क्षमता बढ़ाना।

 

हमारे भोजन तथा शारीरिक संरचना में समानता है क्योंकि जो रासायनिक तत्त्व हमें भोजन से प्राप्त होते हैं वही संयोजित होकर हमारे शरीर का निर्माण करते हैं। हमारे शरीर में पौष्टिक तत्त्वों का अनुपात निम्न प्रकार से है

 

 

जल (Water)
65%
प्रोटिन (Protein)
17%
कार्बोज (Carbohydrates)
1%
वसा (Fats)
13%
खनिज लवण (Minerals)
4%
विटामिन (Vitamins)
थोड़ी मात्रा में (Traces)

  1. उत्तम पोषण (Good Nutrition): जब कोर्इ व्यक्ति अपने शरीर की आवश्यकता अनुसार सभी आवश्यक पोषक तत्त्व प्राप्त करता है तो उस स्थिति को उत्तम पोषण कहते हैं। उत्तम पोषण वाला व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है तथा वह अपनी आयु के अनुसार क्रियाशील होता है। उसमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं –
  2. माँसपेशियाँ मज़बूत होती हैं।
  3. त्वचा चिकनी तथा कान्तिमान (Glowing) होती हैं।
  4. शारीरिक भार तथा लम्बार्इ, चौड़ार्इ उचित अनुपात में होते हैं।
  5. आँखें चमकदार तथा ‌‌‌आँखों की ‌‌‌दृष्टि ठीक होती है।
  1. कुपोषण (Malnutrition): जब कोर्इ व्यक्ति पोषक तत्त्वों की आवश्यकता से अधिक या आवश्यकता से कम मात्रा में लेता है तो यह स्थिति कुपोषण कहलाती है। कुपोषण दो प्रकार का होता है:

 

(i) आवश्यकता से अधिक पोषण (Over Nutrition): इस अवस्था में विभिन्न पोषण तत्त्वों की अधिकता हो जाती है। कार्बोज तथा वसा की अधिकता से मोटापा (Obesity) आ जाता है। अन्य पोषक तत्त्वों की अधिकता से कर्इ प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।

 

(ii) अपर्याप्त पोषण (Undernutrition): जब कोर्इ व्यक्ति भोजन या पौष्टिक तत्त्व आवश्यकता से मात्रा में लेता है तो असके शरीर में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है। इस स्थिति को अपर्याप्त पोषण कहते हैं। वसा तथा कार्बोज की कमी से व्यक्ति का भार बहुत कम हो जाता है, प्रोटीन की कमी से क्वाशियोरकर रोग हो जाता है। खनिज लवणों की कमी से हड्डियाँ तथा दाँत कमजोर हो जाते हैं।

 

भारत में कुपोषण के मुख्य कारण गरीबी, अज्ञानता, खाद्य पदार्थों में मिलावट, भोजन सम्बन्धी गलत आदतें तथा गलत धारणाएँ हैं। आजकल पोषण सम्बन्धी जागरूकता बढ़ाने के प्रयास सरकारी दोनों स्तरों पर किए जा रहे हैं।



भारत में कुपोषण के विभिन्न आयामों में शामिल हैं- 


  1. कैलोरी की कमी
  2. प्रोटीन हंगर
  3. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी

कुपोषण से निपटने के लिये सरकार की वर्तमान पहलें

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन: भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक कुपोषण के उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission- NNM) लॉन्च किया है जिसे पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan) के रूप में भी जाना जाता है।
  • एनीमिया मुक्त भारत अभियान: इसे वर्ष 2018 में एनीमिया में कमी की गति को सालाना एक से तीन प्रतिशत अंकों तक कम करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  • मध्याह्न भोजन (Mid-day Meal- MDM) योजना: इसका उद्देश्य स्कूलों में बच्चों के नामांकन, प्रतिधारण और उपस्थिति बढ़ाने के अलावा उनके पोषण स्तर में सुधार लाना है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act- NFSA), 2013: इस अधिनियम का उद्देश्य भोजन तक पहुँच को कानूनी अधिकार बनाते हुए समाज के सबसे कमज़ोर लोगों के लिये खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • एकीकृत बाल विकास सेवा (Integrated Child Development Services- ICDS) योजना: इसे वर्ष 1975 में शुरू किया गया था और इस कार्यक्रम का उद्देश्य 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और उनकी माताओं को भोजन, पूर्व-स्कूली शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच और रेफरल सेवाएँ प्रदान करना है।



सरकार द्वारा उठाए गए कदम

पोषण अभियान: भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक ‘कुपोषण मुक्त भारत’ सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय पोषण मिशन (NNM) या पोषण अभियान शुरू किया है।

एनीमिया मुक्त भारत अभियान: वर्ष 2018 में शुरू किये गए इस मिशन का उद्देश्य एनीमिया की वार्षिक दर को एक से तीन प्रतिशत तक कम करना है।

‘मिड-डे मील’ योजना: इसका उद्देश्य स्कूली बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करना है, जिससे स्कूलों में नामांकन, प्रतिधारण और उपस्थिति पर प्रत्यक्ष एवं सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013: इसका उद्देश्य संबद्ध योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से समाज के सबसे संवेदनशील लोगों के लिये खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है, ताकि भोजन तक पहुँच को कानूनी अधिकार बनाया जा सके।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): गर्भवती महिलाओं को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने हेतु 6,000 रुपए प्रत्यक्ष रूप से उनके बैंक खातों में स्थानांतरित किये जाते हैं।

एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना: इसे वर्ष 1975 में शुरू किया गया था और इस योजना का उद्देश्य 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा उनकी माताओं को भोजन, पूर्व-स्कूली शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच एवं रेफरल सेवाएँ प्रदान करना है।

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